छत्तीसगढ़ कलार महासभा

मुख्य आकर्षण
New  संगठन मजबूती की ओर प्रभावी कदम उठाती हुई छत्तीसगढ़ कलार महासभा    New  छ.ग कलार महासभा के प्रदेशाध्यक्ष बने श्री विजय जायसवाल जी व प्रदेश कोषाध्यक्ष होंगे श्री डमरूधर जायसवाल जी, वही कर्मचारी कमेटी (छ.ग. कलार महासभा) के प्रदेश अध्यक्ष श्री भागवत जायसवाल जी और वरिष्ठ कमेटी (छ.ग. कलार महासभा) के प्रदेश अध्यक्ष श्री धनवेंद्र जायसवाल जी को नियुक्त किया गया    New  छत्तीसगढ़ कलार महासभा के निर्विरोध नवनिर्वाचित प्रथम महिला महाध्यक्ष बनी सरोज दुष्यंत डनसेना जी, महाउपाध्यक्ष पद हेतु फूलचंद डनसेना जी (सेवानिवृत्त शिक्षक) व महासचिव पद के लिए अधिवक्ता रूपेंद्र जायसवाल जी निर्विरोध चुने गए,    New  अब तक आपने रजिस्ट्रेशन किया या नहीं???    

हमारे बारे में

जय जोहार, जय कलार 

 

एक नजर में, छत्तीसगढ़ कलार महासभा, एक सामाजिक संगठन (आपका अपना संगठन) है और इस संगठन का BACKBONE यानी रीढ़ की हड्डी, हर एक कलार स्वजातीय बंधू, माता,बहने,बड़े बुजुर्ग, जो छत्तीसगढ़ राज्य में निवास करते है, हैं | इस संगठन को अबतक समाज के अनेक महानुभावों ने अपने जीवनपर्यंत, समाज को बेहतर और विकसित बनाने में अपना खून पसीना सींचा है, 

सन 1965 से 76 तक श्री मोतीलाल जायसवाल जी (बम्हनीडीह) से लेकर -
श्री धजाराम डडसेना (सन 1976-86) - बम्हनीडीह
श्री भगवानदीन डनसेना (सन1986-96) - भांटा 
श्री देवकुमार दर्शन (सन 1996-2003) - कोसमपाली 
श्री संतोष जायसवाल  (सन 2003-13) - सक्ती 
श्री विजय जायसवाल  (ढीमानी, बरगढ़ राज - खरसिया, जिला रायगढ़) ने सन 2013 से  2023 तक 

अध्यक्ष,महासभा (छत्तीसगढ़ कलार समाज) के रूप में छत्तीसगढ़ कलार समाज के सांस्कृतिक विरासत,

परंपरा व समाज को एकता के सूत्र में पिरोये रखा है ||

 

कलार समाज के इष्टदेव - भगवान् श्री सहस्त्रबाहु अर्जुन जी
मध्यप्रदेश में इंदौर के पास महेश्वर नामक स्थान पर भगवान् सहस्त्रबाहु का प्राचीन मंदिर विद्यमान है जो की नर्मदा तट पर बसा है 

 

संगठन के उद्देश्य - 

  • कलार समाज शिक्षा के दृष्टिकोण से पिछड़ा हुआ है जिससे संगठन पर्याप्त मात्रा में राजनैतिक, शासकीय नौकरी, व्यवसायी प्रतिस्पर्धा में टिक नही पा रहा है अतः चार स्तरीय सभा का महती दायित्व होगा कि वे वर्ग भेद एवं लिंग भेद से पर समाज को शिक्षित करने की दिशा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे ।
  • सामाजिक सभा सामाजिक लोगों मे चारित्रिक विकास के लिए समय-समय पर विभिन्न संगोष्ठी सभा का आयोजन कर सकेगा, ताकि सामाजिक लोगो में अपने समाज एवं देश के प्रति निष्ठा, भक्ति भावना का विकास हो सके तथा आपसी भाईचारा, सौहार्द्र, सहिष्णुता, सामाजिकता, धार्मिकता एवं नैतिकता के गुण का विकास हो सके।
  • चार स्तरीय सभा भारतीय संविधान के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास करेगा ताकि प्रत्येक सामाजिक व्यक्ति अपने कर्तव्यों एवं अधिकारों को भली-भांति ज्ञान एवं समझ हो सके, जो भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त हैं।
  • चार स्तरीय सभा, समाज के प्रत्येक व्यक्ति को भयमुक्त एवं शोषण मुक्त वातावरण उपलब्ध कराने के लिए कटिबद्ध होगा ।
  • चार स्तरीय सभा, समाज के समस्त लोगो को सामाजिक आर्थिक, राजनैतिक शोषण से मुक्त कराकर स्वतंत्र किन्तु सामाजिक राजनीति के अनुकुल जीवन यापन को प्रोत्साहित करेगा |
  • चार स्तरीय सभा समाज में प्रचलित रीति रिवाजों का आकलन एवं परिक्षण कर, उन रीती-रिवाजों का उन्मूलन करेगा, जो रूढ़िवादी, अंधविश्वास, कुरीतियों से युक्त हों, साथ ही उन्मूलन किए गये रीति रिवाजों के स्थान पर वैज्ञानिक, परिष्कृत, स्वस्थ्य रीति रिवाजों को क्रियान्वित कर प्रचलन में लायेगा जो समाज हित में हो।  
  • सामाजिक न्याय प्रणाली को पारदर्शी बनाकर सामाजिक न्याय व्यवस्था को प्रोत्साहन देना ।
  • समाज को एकता के सूत्र में आबद्ध करने के लिए सामाजिक सम्पर्क को बढ़ावा देकर लोगों में सामाजिकता की भावना का विकास करना ।
  • प्रत्येक सामाजिक कार्य को आपसी सहयोग एवं सहकारिता की भावना से प्रेरित होकर संगठनात्मक ढंग से संपन्न करने पर विश्वास करना ।
  • प्रत्येक सामाजिक / गैर सामाजिक कार्य में वर्ग भेद एवं लिंग भेद की भावना से ऊपर उठकर कार्य करने पर बल देना ताकि समाज के समस्त लोगों का विकास हो ।
  • समाज में समाज के सृजन शील लोगों को रचनात्मक कार्य करने हेतु प्रोत्साहित करना । शासन/सामाजिक संस्थाओं / निजी व्यक्तियों से सहयोग प्राप्त कर समाज के जरुरत मंद लोगों की सहायता करना ।
  • समाज के जन्म / मृत्यु / षष्ठी / विवाह / मंगनी इत्यादी के रुढ़िवादी परम्पराओं को संशोधित कर स्वस्थ्य एवं हितकर तथा किफायती रीति रिवाजों को बढावा देना ।
  • सामाजिक हितों के रक्षा के लिए शैक्षणिक एवं अन्य सृजनशील संस्थाओं को प्रोत्साहन करना एवं सामाजिक मान्यता प्रदान करना ।
  • सामाजिक रीति रिवाजों को विभिन्न अवसरों पर अवगत करने के लिए सामाजिक पत्रिका प्रकाशित करना ।
  • समाज विद्रोही कार्य जैसें जाति / धर्म परिवर्तन करना, समानान्तरण - संगठन तैयार करना, दहेज मांगना, नशीले पदार्थों का सेवन इत्यादी पदार्थों पर प्रतिबंध लगाना ।
  • समाज हितैषी कार्य जैसे, आदर्श विवाह, विधवा विवाह, निर्धन कन्या विवाह, प्रतिभावान छात्र प्रोत्साहन निशुल्क जन सहयोग, अन्य उत्कृष्ट कार्यो को प्रोत्साहित करना ।
  • सामाजिक स्मारकों, मंदिरों एवं धरोहरों का संरक्षण एवं संवर्धन करना ।
  • सामाजिक गौरवशाली इतिहास से भावी पीढी को अवगत करना ।
  • सामाजिक भवन एवं सामाजिक मंदिर का निर्माण करना ।
  • समाज के होनहार प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को भविष्य निर्माण के लिए सामाजिक/आर्थिक सहयोग कर प्रोत्साहित करना ।
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